Ishq

कुछ सनम के साथ बैठे है

कुछ गम में जागे पूरी रात बैठे है

कुछ हाथों में ले कर हाथ बैठे है

कुछ हाथ काट बैठे है

इश्क़ भी क्या चीज़ है ना जनाब

खुशियां दिक्कतें दोनों हज़ार देती है

पूरा हुआ तो संवार देती है

अधूरा रहा तो मार देती है