कुछ सनम के साथ बैठे है
कुछ गम में जागे पूरी रात बैठे है
कुछ हाथों में ले कर हाथ बैठे है
कुछ हाथ काट बैठे है
इश्क़ भी क्या चीज़ है ना जनाब
खुशियां दिक्कतें दोनों हज़ार देती है
पूरा हुआ तो संवार देती है
अधूरा रहा तो मार देती है
कुछ सनम के साथ बैठे है
कुछ गम में जागे पूरी रात बैठे है
कुछ हाथों में ले कर हाथ बैठे है
कुछ हाथ काट बैठे है
इश्क़ भी क्या चीज़ है ना जनाब
खुशियां दिक्कतें दोनों हज़ार देती है
पूरा हुआ तो संवार देती है
अधूरा रहा तो मार देती है